किला गड़ कोट कांगड़ा तेरा ,
किला गड़ कोट कांगड़ा तेरा
ऊंचे पर्वत करें बसेरा किला गढ़
नगर कोट की आद भवानी
मुगल तुरका ना ही मांनी
आज पाया भवन धेरा किला गढ़
मारे मुगल ते वधे पठाना
माता पहने सुआ बांण
हुकुम किया माई लंगर वीर को
भस्म करो सब डेरा- किला गढ़
***
सब मुगल आए शरण आई
अब की बक्शौ ज्वाला माई -2
जन्म जन्म के गुण तेरे गांऊं - ते ध्यानू नौकर तेरा
किला गड़ कोट कांगड़ा तेरा
स्वर; विकास डोगरा
श्रेणीदुर्गा भजन