तूने सिद्ध कर दुनिया के काज दातिए,
कभी मेरी भी तो रख ले लाज दातिए,
गिन गिन चढ़ी है चढ़ाई ग्यारा बार माँ ,
क्या है कसूर मेरा सुनी ना पुकार माँ,
खता तू बतादे मुझे आज दातिए,
कभी मेरी भी तो रख ले लाज दातिए,
भेट चढाई मैंने छतर चढ़ाया माँ,
कंजके बिठाई मैंने जागरण कराया माँ,
किस्मत का तिरा न जहाज दातिए,
कभी मेरी भी तो रख ले लाज दातिए,
क्यों मेरी भक्ति ये जाती निष्फल है,
क्या है अभिशाप मेरा काम असफल है,
भगाये कब भरे प्रवास दातिए,
कभी मेरी भी तो रख ले लाज दातिए,
खोता बेटा जानके ही मुझे अपनले माँ,
आंबे परिवार को तू अपना बनाले माँ,
रख मेरे सिर पर ताज दातिए,
कभी मेरी भी तो रख ले लाज दातिए,