आश्रय भगती का युग युग से राम तुम्हारा
घट घट में रमने वाले अब लौटे प्रभु निज धाम
दुखियां के तुम राम सहारे पतित भी प्रभु तुमने है तारे,
संतन रिश्री मुनि शरण तुम्हारे
देव भी प्रभु तुम को ही पुकारे,
प्रेम के वश तु सब से हारे,सब के बने सुख धाम
घट घट में रमने वाले अब लौटे प्रभु निज धाम
सेहन शीलता तुम ने सिखाई धर्म परायण तुम रघुराई
धीर वीर चहु दिस के विजेता हरी नाम की राह दिखाई
आई शुभ घडी अब है लौटे राम लला निज धाम