धन दोलत वाले तो सदा बस्ती में रहते है
भूत नाथ के दीवाने मस्ती में रेहते है
भुत नाथ के मस्तानो की हर इक बात निराली
करे मौज हर रोज है होती होली और दीवाली,
मस्त सदा खुश हाल मेहंगी सस्ती में रेहते है
भूत नाथ के दीवाने मस्ती में रेहते है
भुत नाथ अपने भगतो की दूर करे हर टेंशन
शरण में रहने वालो की बंध जांदी याहा पे टेंशन
मौज उडा के जो इनकी कश्ती में रेहते है
भूत नाथ के दीवाने मस्ती में रेहते है
भुत नाथ भंडारी भोला भगतो के रखवाले,
चरण शरण में जो भी आता उसको सदा संभाले,
पंकज प्रेमी इक के सर परस्ती में रेहते है
भूत नाथ के दीवाने मस्ती में रेहते है