बड़ी खुद गरज दुनिया है कोई न दर्द जाने माँ
दिए जो जख्म दुनिया ने
दिए जो जख्म सीने में तुझे आये दिखाने माँ
यहा सारा मतलब का याहा मतलब के नाते
बिछा के राह में कांटे हमे चलता सिखाते है,
गई मुश्कान होठो की पड़े आंसू बहाने माँ
बड़ी खुद गरज दुनिया है कोई न दर्द जाने माँ
छुपी खुशियाँ निगाहो से अँधेरे गम के छाए है,
मेरे अरमान मेरे सपने यु अश्कों में समाये है,
मेरे अपने बने दुश्मन लगे हस्ती मिटाने माँ
बड़ी खुद गरज दुनिया है कोई न दर्द जाने माँ
मेरी तकदीर में दाती बता क्यों ठोकरे लिखदी
आमवास रात है छाई ख़ुशी पल वर को न दिखती,
मैं केवल टूट के बिखरा यही आया बताने माँ
बड़ी खुद गरज दुनिया है कोई न दर्द जाने माँ
तेरे दरबार से मैया कोई खाली नही जाता
झुकी गर्दन यो श्रधा से मुरादे दिल की वो पाता,
चरण में आ गया रणजीत मुकदर अजमाने माँ
बड़ी खुद गरज दुनिया है कोई न दर्द जाने माँ