52 गज़ की चुनर

मिलने साँवरिया से जाऊँ,
अपना सब श्रृंगार बनाऊँ,
गज़रा बालों बीच सजाऊँ,
बिंदी कुमकुम वाली लगाऊं,
काजल नैनों में चटक डालूंगी,
बावन गज़ की चुनर ओढ़ मटक नाचूंगी
52 गज़ की चुनर ओढ़ मटक नाचूँगी

माथे ऊपर मैं पहनूंगी,
हीरे मोती माला टीका,
जिसके आगे चन्द्रमा का,
रंग लगेगा फीका फीका,
चूड़ी कंगन पहन नाक में नथनी डालूंगी,
बावन गज़ की चुनर ओढ़ मटक नाचूंगी,
52 गज़ की चुनर ओढ़....

मेरे रंग रूप की चर्चा,
होगी धरती और गगन में,
पतली कमर देख कर मेरी,
नागिन शर्माएगी मन में,
घूंघरूं वाली पायलिया पैरों में डालूंगी,
बावन गज़ की चुनरी ओढ़ मटक नाचूंगी
52 गज़ की चुनर ओढ़....

मेरी चाल देख के मन में,
होंगी आज हंसिनी कायल,
मेरी मीठी बोली सुनके,
होगी कोयलिया भी घायल,
कहे अनाड़ी गल नौ लक्खा हार डालूँगी,
बावन गज़ की चुनरी ओढ़ मटक नाचूंगी,
52 गज़ की चुनरओढ़........
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