आंबे मैया तेरे दर से कोई न खाली जाता है
रोता हुआ तेरे दर पे आता हस्त हुआ वो जाता है
दीन दुखियारे देखो मैया के दर आते है,
अपने मन की दुःख दुविधिया को मैया को सुनाते है,
बड़ी दयालु मैया मेरी समा दान वो पाते है,
शीश जुका कर मैया को हर दुखियां झूम कर गाता है,
रोता हुआ तेरे दर पे आता हस्त हुआ वो जाता है
हे आंबे जगजनी मैया सब की झोलियाँ भरती है
अंधन को आँखे दे कर के दुःख माँ पल में हरती है
कोडीन को देकर काया माँ जीवन में रस भरती है
ध्वजा नारियल पान सुपारी माँ को भेट चडाना है,
रोता हुआ तेरे दर पे आता हस्त हुआ वो जाता है
बांजन को सन्तान है देकर आंबे माँ दिखलाती है,
दुष्टों का संहार है करके भगतो की लाज बचाती है,
मन की मुरादे पूरी करके भगतो की दिखलाती है,
सिमरन देखो रोम रोम में आंबे माँ का आता है,
लाल चुनरीया लाल चोला मैया जी को चडाता है
रोता हुआ तेरे दर पे आता हस्त हुआ वो जाता है