शिव शंकर भोले कैलाशी

धुन- कान्हा आन वसो वृन्दावन में

शिव शँकर भोले, कैलाशी,
तेरे दर्श को अख्खियाँ, हैं प्यासी ll

*तेरी जटा विच, गंगा धारा,
माथे पर सोहे, चंदा प्यारा l
प्रभु तूँ सब जग से, है न्यारा,
मेरे भोलेनाथ घट, घट वासी,,,
शिव शँकर भोले,,,,,,,,,,,,,,,,

*देवों के देव, महाँदेव हो तुम,
सब की नईया के, खेव हो तुम l
हो सब से बड़े प्रभु, दानी तुम,
दुनियाँ तेरे चरनो, की दासी,,,
शिव शँकर भोले,,,,,,,,,,,,,,,,

*एक वार तो दर्शन, दे जाना,
ये मन हैं मेरा प्रभु, दीवाना l
कोई करना नहीं, बहाना तुम,
मेरे दीन दयाला, अविनाशी,,,
शिव शँकर भोले,,,,,,,,,,,,,,,,

*मैं दर्श दीवानी, तेरी हूँ,
संकट ने प्रभु जी, घेरी हूँ l
ढूँढा रामेश्वर, और काशी,
शिव शँकर भोले, कैलाशी,,,
शिव शँकर भोले,,,,,,,,,,,,,,,,

*प्रभु तेरे कावड़, लाई हूँ,
चल हरिद्वार से, आई हूँ l
प्रभु तेरी आस, लगाई है,
तेरा रुक्म भी दर्शन, अभिलाषी,,,
शिव शँकर भोले, कैलाशी,
तेरे दर्श को अख्खियाँ, हैं प्यासी llll
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल
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