लिखी अर्जी चरणा च करी मंजूर सतगुरु
के निभ जाए दर तेरे मेरे हजूर सतगुरु
कंडियो वी निकी है बारो वी तीखी है
जिस मार्ग चलना है ओ गुरु दी सीखी है।
सुख वड़ना दुनिया च तेरा दस्तूर सतगुरु
के नीभ जाए......
माया इस दुनिया च किसे कम ना आनी है
सेवा गुरु सीखी दी ए सच्ची कहानी है
सुख वड़ना दुनिया च तेरा दस्तूर सतगुरु
के नीभ जाए......
कच दी इस दुनिया च सच्च दा व्यापारी है
ए नाम दी दौलत ता बाबा निरंकारी है
जिस सिर ते तू हाथ रखी करी मंजूर सतगुरु
के नीभ जाए......
अवगुण अंगणित स्वर अहसान तेरे लखा
मनमोहन तनु हर दम नेना च बराई रखा
दीपू नू माफ करी तू देव कसूर सतगुरु
के नीभ जाए......
Post by:-Deepanshu Kathpal