कभी फुर्सत हो तो बजरंगी,निर्धन के घर भी आ जाना |
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ||
ना चोला चढ़ा सका चाँदी का, ना चादर घर मेरे राम लिखी |
ना पेडे बर्फी मेवा बाबा, बस श्रद्धा है नैन बिछाए खड़े ||
इस श्रद्धा की रख लो लाज प्रभु, इस विनती को ना ठुकरा जाना |
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ||
जिस घर के दिए मे तेल नहीं, वहां जोत जगाओं कैसे |
मेरा खुद ही बिशोना डरती प्रभु, तेरी चोंकी लगाऊं मै कैसे ||
जहाँ मै बैठा वही बैठ प्रभु, बच्चों का दिल बहला जाना |
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ||
तू भाग्य बनाने वाला है, और मै तकदीर का मारा हूँ |
हे दाता संभाल भिकारी को, आखिर तेरी आँख का तारा हूँ ||
मै दोषी तू निर्दोष प्रभु, मेरे दोषों को तूं भुला जाना |
जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ||
- कुंवर दीपक