बीती भजन बिन तेरी जिंदगानी
होने को आई खत्म कहानी
वचन गर्भ में किया उसे भूल गया वादा तोड़ दिया
बहुत करली तूने ये मनमानी
पैसे पे गुमान किया नुक्सान किया अभिमान किया
अब न चलेगी चाल पुरानी
रिश्तों से प्यार किया ऐतबार किया अहंकार किया
बिसर गई सब प्रीत पुरानी
विषयों ने दास किया मोह ने घेर लिया मजबूर किया
कैसी हठ थी ये अनजानी
जीवन बेकार किया न भजन किया न सुधार किया
अब टपकाए आंख से पानी
डोली में सवार किया नाता तोड़ लिया मुख मोड़ लिया
जिंदगी की यही रीत पुरानी