पल पल बीती जाए उमेरियां विरथा जन्म गवाया,
ना राम नाम की धुनी रमाई कभी न हरी गुण गाया
हे साथो बाई कर ली मेली काया
बाँध गठरियाँ झूठ फरेब की मनवा क्यों हरिखाया
एह्न्कार की ओडी चदरिया काया काट लगाया
हे साथो बाई कर ली मेली काया
पार कर धन और बल को जिसने बेह का विघुल भजाया
साथ नही ये जा पाया वो जोड़ी करोड़ी माया
पर निंदा कर मैल बटोरी मरघट जेहर पराया,
धर्म कर्म की तोड़ कोठरियां पाप का मेहल चिनवाया
हे साथो बाई कर ली मेली काया
राम ना का चरखा चला कर हरी से हीत लगाया
संतन की संगत में बेठ कर राम कृष्ण गुण गाया
साथ सारंगी भजा भजा कर प्रभु से नेह लगाया
ओड चदरियां राम वीर की हरी का अलख जगाया
हे साथो बाई कर ली मेली काया