सत्कर्म करने वाला न मरा है न मरेगा

सत्कर्म करने वाला न डरा है ना डरेगा

चाहे जहाँ करो तू करना है  अंत तुझको
तृष्णा का समण्डार न भर है ना भरेगा

फानुष बनके इस्वर जिसकी करे हिफाजत
तूफा में भी वहाँ दीपक न बुझा है ना बुझेगा

जो स्तय अहिंसा का दमन कभी न छोड़े
जिस रथ पे कृष्ण बैठा न आरा है ना अरेगा
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