कैसी सुंदर हिमालय नगरी
भोले पैदल चले आ रहे हैं
उनकी जटाओं में गंगा बिराजे
वो बहाते चले आ रहे हैं
कैसी..........
उनके माथे पे चंदा बिराजे
चमकाते चले आ रहे हैं
कैसी..........
उनके हाथों में डमरू बिराजे
वो बजाते चले आ रहे हैं
कैसी..........
उनके ह्रदय में गौरा बिराजे
दर्शन देते चले आ रहे हैं
कैसी..........
उनकी गोदी में गणपति बिराजे
वो खिलाते चले आ रहे हैं
कैसी.........
उनके चरणों में भक्त बिराजे
झोली भरते चले आ रहे हैं
कैसी..........