मुझको दे सवर ज्ञान मैं नित नित तेरी महिमा गाऊ
कंठ में करो निवास ताल से परे कभी न जाऊ
मुझको दे सवर ज्ञान ...........
वीणा धारी हंस सवारी महका दो तुम सवर की प्यारी,
जब मैं गाऊ वंदना तेरी तुम ही रखना लाज हमारी,
तबला भजे फिर मैं भी तान लगाऊ
कंठ में करो निवास ताल से परे कभी न जाऊ
मुझको दे सवर ज्ञान ...........
ज्ञान यग्य की ज्योत जगा दो हर घर शिक्षा से चमका दो
किरपा तेरी माँ हो सब जन पर ऐसा ही कुछ कर्म कमा दो
लवली की माँ आस यही है दर्श तेरा कर पाऊ
कंठ में करो निवास ताल से परे कभी न जाऊ
मुझको दे सवर ज्ञान ...........