अब याद लगाए हो कुछ काम किया होता,
ओ जरा दर के ठिकाने मन माँ का नाम लिया होता,
अब याद लगाए हो कुछ काम किया होता......
सांसो के ये मोती व्यर्था ना लुटे होते,
माँ का नाम अगर अम्रत जी भर के पिया होता,
अब याद लगाए हो कुछ काम किया होता......
सो साल का जीना भी माँ के नाम बिना व्यर्था,
जो भी किया होता माँ का नाम लिया होता,
अब याद लगाए हो कुछ काम किया होता......
इस जोश जवानी में हम संभल संभल चलते,
हीरा ये जन्म जो था यू ना बर्बाद किया होता,
अब याद लगाए हो कुछ काम किया होता.......
विरान सी बस्ती है मैया जी मेरे मन की,
इस उजड़े हुए गुल को गुलजार किया होता,
अब याद लगाए हो कुछ काम किया होता.......