तेरे हाथ में जादू गोरा

भांग घोट दे पार्वती , मेरे पे रहया ना जावे…….
भांग छोड़ के क्यों ना भोले , लाडू पेड़े खावे……...
तेरे हाथ में जादू गोरा , भांग तेरी मन भावे……..
हाथा में छाले पड़ जा , क्यों भांग रोज घुटवावे……..2

तंग होगी में बहुत घणी , मने पीहर जाना चाहिए
नन्दी ते कहके भोले मने मइके में भिजवईये -2
सामण महिमा आया इसमें तू पीहर ना जइये
सिलबट्टे पे रगड़ के भर भर प्याले पियाईये
तेरी भांग मेरे चढ़े मगज में....उल्टी चकर आवे
हाथा में छाले पड़ जा , क्यों भांग रोज घुटवावे.....

तेरे हाथ की भांग पीऊँ तो चढ़ जा मेरे खुमारी
पर्वत ऊपर लगे समाधि सूझे अटल अटारी -2
मानो बात मेरी शम्भु में थारी भायता नारी
भांग पियो तो कहे भंगेड़ी तम ने दुनियाँ सारी
मेरी और ने क्यों तू प्यारी तिरछी नजर लखावे
तेरे हाथ में जादू गोरा , भांग तेरी मन भावे……..


मेरे हाथा में दर्द हुया में भांग घोट ना पाऊँ
चस चस काया चसके मेरी भोले माफी चाहूँ -2
भांग पिलादे मने घोट के फिर में तने रिझाऊँ
डमरू मस्त बजे ऐसा खुद नाचूँ तने नचाऊँ
के तेरे मन में आ रही क्यों ज्यादा मने तरसावे
हाथा में छाले पड़ जा , क्यों भांग रोज घुटवावे.......

 

कहे हरीश पालम वाला गुरु मान सिँह का चेला
महाशक्ति गोरा अर्धांगी शिव भोला अलबेला  -2
मानू बात तेरी वरदानी छोडू नही अकेला
हम दोनू मिलके देखे भोले सामण का मेला
भांग घोट के तने पिलाऊँ यो मेरे मन भाया
तू मेरा में तेरी गोरा करू सदा मन चाहया
तेरे हाथ में जादू गोरा , भांग तेरी मन भावे……..
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