राधा रानी श्याम दीवानी कहता यह संसार है,
मोहन से प्यार है राधा से प्यार है॥
यमुना तीरे मुरली बाजे प्रेम की पोथी बाज रही,
बाँध पाँव में पायल श्यामा ता ता थईया नाँच रही,
है वृषभान लली सुकुमारी नंदलाला सुकुमार है,
मोहन से प्यार है राधा से प्यार है॥
नन्द गाँव से कान्हा चलके बरसाने में आते हैं,
गहवर वन में श्यामा के संग नित नए खेले रचाते हैं,
रसिया है श्री कृष्ण मुरारी राधा रस की धार है,
मोहन से प्यार है राधा से प्यार है॥
प्रकृति मई नवल राधिका नारायण घनश्याम है,
हार गए ऋषि पार ना पाए अन गणित इनके नाम है,
है जग के आधार यही इनका ना कोई आधार है,
मोहन से प्यार है राधा से प्यार है॥
जहाँ बसे बृजेश्वरी कान्हा नित निवास है,
योगी और सन्यासी सबका बरसाने में वास है,
भूलन त्यागी उस भूमि पे लेटे बारंबार है,
मोहन से प्यार है राधा से प्यार है॥
राधा रानी श्याम दीवानी कहता यह संसार है,
मोहन से प्यार है राधा से प्यार है......