चलो मनवा वो मोहन जहाँ मिले
लगा ले मुझे गले
चलो मनवा वो मोहन जहाँ मिले
गोकुल बिंद्रावन या खाटू कहीं तो होगा
छइयां कदम के नीचे या यमुना तट होगा
थाम ले हाथ वो इक बार जो निगाह मिले
चलो मनवा वो मोहन जहाँ मिले
वो मुरलीधर मोहन बांके मेरे बिहारी
कब आएंगे आँखें रोने लगी हमारी
चल चलें हो शुरू मिलने के ये सिलसिले
चलो मनवा वो मोहन जहाँ मिले
लेहरी छूटे ना ये दिल की लगी कन्हैया
होगा इक दिन होगा मैं झुमु तेरी बइयाँ
वी समा दे मुझे गुलशन भी मेरा खिले
चलो मनवा वो मोहन जहाँ मिले