चल कपट त्याग दीजे, गुरु जी के शरण लीजे।
मन को विशाल कीजे, खेलिए मैदान में ॥
गुरु के सामान नहीं दूसरा जहान में ।
पाप से बचावे गुरु, भय से छुडावे गुरु।
ब्रह्म से मिलावे गुरु, तत्पर ध्यान में ॥
गुरु ब्रह्म रूम जानो, शिव का स्वरूप मानो।
साक्षात् ब्रह्म जानो, लिखा है पुराण में ॥