पल पल ने गुरु जी नाल मैं क्यों गबरावा,
हर वेले करण संभाल मैं क्यों गबरावा,
अंग संग रेह्न्दे सदा साथ गुरु आप ने,
टल जांदे भगता दे दुःख संताप ने,
मिट जांदे सब जन जाल मैं क्यों गबरावा,
पल पल ने गुरु जी नाल मैं क्यों गबरावा,
नेकियां दी रहा उते आसा चलाया है,
बलिया बुराइयां कोलो हमेशा बचाया है,
हर दम रखदे ने ख्याल, मैं क्यों गबरावा,
पल पल ने गुरु जी नाल मैं क्यों गबरावा,
सुख विच दुःख विच गम विच ख़ुशी विच,
छाड़ियाँ ना इकला कदे साहनु ज़िंदगी च,
रेहमत किती हर हाल मैं क्यों गबरावा,
पल पल ने गुरु जी नाल मैं क्यों गबरावा,
बन के खिवैयाँ सदा डूभी दी तराई है,
विच तूफानों बेड़ी साहिला ते लाइ है,
बदली समय दी चाल, मैं क्यों गबरावा,
पल पल ने गुरु जी नाल मैं क्यों गबरावा,