त्रिशूल है हाथों में,
और खड़ग को धारा है,
तुम्हरे चरणों में,
मैया नमन हमारा है,
माँ अष्टभुजी तुमने,
संसार को तारा है,
तुम्हरे चरणो में,
मैया नमन हमारा है।।
महिषासुर पापी पे,
त्रिशूल प्रहार किया,
त्रिशूल प्रहार किया,
इक बार में पापी का,
तुमने संहार किया,
पापों से धरती का,
तुमने बोझ उतारा है,
तुम्हरे चरणो में,
मैया नमन हमारा है।।
जब चंड मुंड पापियों ने,
था स्वर्ग को जीत लिया,
था स्वर्ग को जीत लिया,
और शुम्भ निशुम्भ ने जब,
देवों को अधीन किया,
महाकाली के तुमने,
माँ रूप को धारा है,
तुम्हरे चरणो में,
मैया नमन हमारा है।।
ध्यानु के कटे सिर को,
ज्वाला बन जोड़ दिया,
ज्वाला बन जोड़ दिया,
श्री धर के भंडारे को,
वैष्णो बन पूर्ण किया,
तारा रुक्मण को,
तुमने पार उतारा है,
तुम्हरे चरणो में,
मैया नमन हमारा है।।
मैं जब भी पुकारूँ माँ,
तुम सिंह सवार आना,
तुम सिंह सवार आना,
‘चंदन’ के दुखड़े को,
मैया तुम मिटा जाना,
तेरे भक्तों को,
तेरा ही सहारा है,
तुम्हरे चरणो में,
मैया नमन हमारा है।।
त्रिशूल है हाथों में,
और खड़ग को धारा है,
तुम्हरे चरणों में,
मैया नमन हमारा है,
माँ अष्टभुजी तुमने,
संसार को तारा है,
तुम्हरे चरणो में,
मैया नमन हमारा है।।