भात भरने चले सांवरिया लेके गठरी

भात भरने चले सांवरिया लेकर गठरी,
लेकर गठरी हो रामा लेकर गठरी,
भात भरने चले सांवरिया लेकर गठरी.....

मंशा सेठ ने बड़े गर्व से चिट्ठी एक लिखवाई,
दुनिया भर की चीज भारत में नरसी से मंगवाई,
चीज लाना बढ़िया-बढ़िया लेकर गठरी,
भात भरने चले सांवरिया....

लेकर चिट्ठी जब वह नाई नरसी के घर आया,
मंशा सेठ ने तुम्हें सेठ जी भात भरने बुलवाया,
सुनकर भात की खबरिया लेकर गठरी,
भात भरने चले सांवरिया....

देख नाई को नरसी जी मन में बड़ा घबराए,
साग तोड़ने की खातिर फिर वह जंगल में आए,
मिला साग में नहीं नमकीया लेकर गठरी,
भात भरने चले सांवरिया....

पीछे से आ मनमोहन ने भोजन उसे कराया,
मैं नौकर हूं नरसी सेठ का ऐसा उसे बतलाया,
दे गए नाई को दक्षिणीया लेकर गठरी,
भात भरने चले सांवरिया....

सिरसागढ़ जाने को नरसी टूटी गाड़ी लाए,
बूढ़ा सा एक बैल जोड़कर साधु संत बिठाए,
बनकर आए गड़वालिया लेकर गठरी,
भात भरने चले सांवरिया....
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