धुन- बाबुल प्यारे
ओ शंकर भोले... जपती तुमको मैं हरदम,
दें दो सुन्दर कोई जतन, जिससे फिर मिल जायें हम.. हो..
ओ शंकर भोले......
त्रेता युग में भूल हुई थी, जाँचा था रामजी को, ओ...
रूप सीता का लिया, त्यागे मुझको ही शिवा,
ऐसे बीता मेरा वो जनम...हो..
ओ शंकर भोले.....
दक्ष पिता जब बने घमंडी, भूले सती और शिव को,
जब मैं वेदी को चली, सबमें आयी खलबली,
जला अग्नी में मेरा बदन...हो..
ओ शंकर भोले.....
पार्वती के रूप में जन्मी, आऊँगी तेरे ही आँगन... ओ..
तेरी पूजा मैं करूँ, काम दूजा न करूँ,
तुझपे वारूंगी अपना ये तन... हो..
ओ शंकर भोले.....
शिवरात्रि के शुभ अवसर पर, आये शंभु बराती, ओ...
ताने लोगों से मिले, वर जोगी से मिले,
सारे संसार के भगवन हो..
ओ शंकर भोले.....
स्वर - शिवा त्रिपाठी एवम जान्हवी विश्वकर्मा