समराथल पे हुकुम चले

समराथल पे हुकुम चले एक भागवा धारी का,
हर भक्त दीवाना है विष्णु अवतारी का,
मात है हंसा जिनकी, पिता है लोहट जिनके,
गांव पीपासर प्यारा , देता है सबको सहारा,
नाम जंभेश्वर रख डाला, उस ब्रह्मचारी का,
हर भक्त दीवाना है, विष्णु अवतारी का॥

मुझसे कुछ भी ना कहते, वह चुपचाप रहते,
आंख से करे सारा, कहते हैं हाल सारा,
पार न पाया कोई भी,  इस अजब पुजारी का,
हर भक्त दीवाना है, विष्णु अवतारी का॥

तेज आंधी बारिश में, जिसका है दीपक चलता,
तेल की जगह पानी, जिसके दीपक मे डलता,
चारो तरफ डंका बजता, जिसकी कलाकारी का,
हर भक्त दीवाना है, विष्णु अवतारी का॥

करने दुःख दूर जग के, जिन्होंने अवतार लिया है,
विश्नोई पंथ चला के, उन्होंने उपकार किया है,
सभी भक्त बस गुण गाए, उन उपकारी का,
हर भक्त दीवाना है, विष्णु अवतारी का॥
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