फागुन मेला श्याम धणी का,
फिर से आया है,
सब भक्तों को बाबा ने,
मेले में बुलाया है,
चंग धमाल के संग होली का,
मौसम छाया है,
सब भक्तों को बाबा ने,
मेले में बुलाया है......
देखो जिधर भी नज़र घुमा के,
श्याम निशान दिखे,
कोई पैदल पेट पलनिया,
नंगे पाँव चले,
आया जो भी श्याम की नगरी,
वो ना भूखा रहे,
कड़ी कचोरी खीर चूरमा,
सारे स्वाद मिले,
मिले कोई सेवा,
ख़ुशी ख़ुशी करना,
प्रेमियों के संग,
श्याम श्याम जपना,
ऐसा सुन्दर अजब नज़ारा,
तेरी माया है,
सब भक्तों को बाबा ने,
मेले में बुलाया है......
फागुन की वो मस्तियाँ,
मन में उछल रही है,
याद तेरी खाटू की,
फिर से मचल रही है,
श्याम के प्रेमी एक झलक को,
देखने आते है,
झूमे नाचे मिलके सारे,
भजन सुनाते है,
कोई कहे चलना,
तो मना नहीं करना,
दिल के बातें तुम,
बस श्याम से ही करना,
ऐसी मस्ती ना कहीं,
ऐसा आनंद पाया है,
कहता प्रेमी श्याम मिलन का,
अवसर आया है,
सब भक्तों को बाबा ने,
मेले में बुलाया है.......