बल्ले बल्ले मैं दाता दा फ़क़ीर हो गया,
ओहदे रंगां विच रंगी तस्वीर हो गया....
नाम वाले रंग विच मैनू दिता रंग ऐ,
इस तों इलावा मेरी कोई ना मंग ऐ,
मिली नाम वाली दौलत अमीर हो गया,
बल्ले बल्ले मैं दाता दा फ़क़ीर हो गया......
लोकी मैनू आखदे ने हो गया शुदाई ऐ,
अपनी ना होश, होश जग दी भुलाई ऐ,
उस शाहाँ दी वी, शाह दी जागीर हो गया,
बल्ले बल्ले मैं दाता दा फ़क़ीर हो गया......
अपनी खुमारी अंग-अंग विच भरती,
दास ते वी दाता ने नज़र ऐसी करती,
पाक रूह होई पावन शरीर हो गया,
बल्ले बल्ले मैं दाता दा फ़क़ीर हो गया......