हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा

हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा....

सुख सम्पतीं सब त्यागी मन की,
प्रभु चरनंन अनुरागा,
हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा....

जो माया के म्रग बन डोले,
हरि अति दुर ही भागा,
हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा....

सुख के कारण सब बिसराये,
मन से सब सुख त्यागा,
हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा....

प्रभु के प्रेम का पागल हुं मैं,
मन चरणों में लागा,
हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा....

बाबा धसका पागल जी

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