मेरो भोले भंडारी गौरा से ऐसे बोल रहयो

मेरो भोले भंडारी गौरा से ऐसे बोल रहयो.....

कौन गांव से आई भीलनी छमछम करती डोले
क्या है तेरे नाम पति को हमसे क्यों ना बोले,
तोहे कहे को दुःख भारी गौरा से ऐसे बोल रहयो,
मेरो भोले भंडारी गौरा से ऐसे बोल रहयो.....

साँचम साँच बताऊ मेरे बाबा बलमा मिलो नशेड़ी,
गंजो भांग धतूरा पीवे यही वामे खराबी,
मोहे यही तो दुःख भारी गौरा तो ऐसे बोल रही,
मेरो भोले भंडारी गौरा से ऐसे बोल रहयो.....

मेरे घर में चलो भीलनी तोहे बना देऊ रानी,
इन्द्रासन को राज करा देऊ महलन की पटरानी,
तोहे राखूंगो अति प्यारी गौरा से ऐसे बोल रहयो,
मेरो भोले भंडारी गौरा से ऐसे बोल रहयो.....

तेरे घर में दो दो नारी देख करे मेरी हांसी,
जब आपस में लड़े लड़ाई मोहे लगा दे फांसी,
मोहे पहले ही दुःख भारी गौरा तो ऐसे बोल रही,
मेरो भोले भंडारी गौरा से ऐसे बोल रहयो.....

एक नारी को पीहर भेजू एक बना देऊ दासी,
आपा दोनु राज करेंगे कैसे लग जाये फांसी,
तुम बनो मेरी रानी गौरा से ऐसे बोल रहयो,
मेरो भोले भंडारी गौरा से ऐसे बोल रहयो.....

दाढ़ी मूछ कटा लेरे पहले डर मोहे इनसे लागे,
पैदल मोह पे चलो ना जाए कन्धा पे बेठाले,
तेरी जब ही बनु रानी गौरा तो ऐसे बोल रही,
मेरो भोले भंडारी गौरा से ऐसे बोल रहयो.....

घूंघट जब सरकायो भोले ने मन ही मन मुस्काई,
मोची बनकर आयो छलने में भीलनी बन आई,
अब दोनों की हुई यारी गौरा से ऐसे बोल रहयो,
मेरो भोले भंडारी गौरा से ऐसे बोल रहयो.....
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