माँ के भवन पे कागा का का बोलता,
का का नहीं वो जय माता दी बोलता.....
ओ मेरी माँ मुझे हंस बना दे, हंस बनादे मुझे गंगा मे नहला दे,
मैं मोती चूग चूग लाऊंगा, तेरे चरणों मे चढ़ाऊंगा,
माँ के भवन पे......
ओ मेरी माँ मुझे कोयल बना दे, कोयल बनादे मुझे गंगा मे नहला दे,
मैं तेरे दर पे आऊँगा और मीठे राग सुनाऊंगा,
माँ के भवन पे......
ओ मेरी माँ मुझे मोर बनादे, मोर बनादे मुझे गंगा मे नहला दे,
मैं छम छम दर पे नाचूंगा और नाच नाच के दिखाऊंगा,
माँ के भवन पे......