हे जग जननी जगदम्बे माँ,
जहाँ ज्योत तुम्हारी जग जाती.........-4
घर हो जाता है वो पावन,
जहाँ ज्योति रूप में हो दर्शन,
श्रद्धा से.. जय हो..
श्रद्धा से पूजे तुम को जहाँ,
तुम उस घर में हो बस जाती,
हे जग जननी जगदम्बे माँ,
जहाँ ज्योत तुम्हारी जग जाती॥
जिस घर में माता ज्वाला है,
वो होता किस्मत वाला है,
सुख चैन.. जय हो..
सुख चैन रहे उस घर में सदा,
खुशियां ही खुशियां है आती,
हे जग जननी जगदम्बे माँ,
जहाँ ज्योत तुम्हारी जग जाती॥
तुम नव रूपा हो जगदम्बे,
नौ ज्योति तुम्हारी निराली है
सुख मिलता.. जय हो..
सुख मिलता सबको दर्शन का,
दुनिया है तुम्हारे गुण गाती,
हे जग जननी जगदम्बे माँ,
जहाँ ज्योत तुम्हारी जग जाती॥
माँ ज्योति तुम्हारी नूरानी है,
इस रूप की दुनिया दिवानी है,
ये ज्योत.. जय हो..
ये ज्योत सदा ही घर में जगे,
करू मैं विनती तुम से दाती,
हे जग जननी जगदम्बे माँ,
जहाँ ज्योत तुम्हारी जग जाती........