गुरुजी मन मिले का मेला रे उड़ जायेगा हंस अकेला....
चारों और बाग लगवाएं,
प्रभु जी बीच लगा दिए केला रे, उड़ जायेगा हंस अकेला.....
कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी,
संग चले ना दे लारे, उड़ जायेगा हंस अकेला.....
क्यों करता है मेरा मेरा,
प्रभुजी चिड़िया रैन बसेरा रे, उड़ जायेगा हंस अकेला.....
कागज की एक नाव बनाई,
प्रभु जी छोड़ गई मत धारा रे, उड़ जायेगा हंस अकेला....
धर्मी धर्मी पार उतर गई,
प्रभु जी पापी गोत बसेरा रे, उड़ जायेगा हंस अकेला.....