गोरजा के दवार चले,

चली शिव की बारात झूमे सारी काएनात,
देवी देवते है साथ कैसी बनी है बात मेरे भोला जी होक तयार चले,
बाजे ढोल संख और ताज गोरजा के दवार चले,

नित रागे मत वाला जोगी पिए भांग का प्याला जोगी,
गले सोहे मुंड माला जोगी सबसे रूप निराला जोगी,
बेल पे होक है सवार चले बाजे ढोल संख और साज गोरजा के दवार चले,

गोरा को सखिया बतलाये क्यों जोगी संग विवहा रिचाए,
कान में विछु कुंडल पाए गले में उसके नाग सजाये,
जता में भंग फुहार चले बजे ढोल संख और साज गोरजा के दवार चले,

केलाशी शम्बू बर्फानी जिसकी महिमा किसे ने न जनि,
भोले शंकर अंतर यमी चाकी को करदे सुख दानी,
करम जीत को तार चले,बाजे धोले संख और साज गोरजा के दवार चले,
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