माखन खा मिश्री मैं दूंगी ये मोहन तेरे लिए.....
एक तो गर्मी का मौसम दूसरे पंखा नहीं,
सिर से टपके है पसीना ये मोहन तेरे लिए,
माखन खा मिश्री मैं दूंगी ये मोहन तेरे लिए.....
एक तो सर्दी का मौसम दूसरे कम्बल नहीं,
ठंड से धड़के कलेजा ये मोहन तेरे लिए,
माखन खा मिश्री मैं दूंगी ये मोहन तेरे लिए.....
एक तो बारिश का मौसम दूसरे छाता नहीं,
भींगे मेरी लाल चुनरिया ये मोहन तेरे लिए,
माखन खा मिश्री मैं दूंगी ये मोहन तेरे लिए.....
एक तो सावन का महीना दूसरे झूला नहीं,
तिरछी है तेरी नजरिया ये मोहन तेरे लिए,
माखन खा मिश्री मैं दूंगी ये मोहन तेरे लिए.....
एक तो फागुन महीना दूसरे रंग गुलाल नहीं,
मिलने को आजा सांवरिया ये मोहन तेरे लिए,
माखन खा मिश्री मैं दूंगी ये मोहन तेरे लिए.....