मेरे बाँके बिहारी सांवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है,
मेरे बाँके बिहारी साँवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है।।
आँख वालों ने तुमको है देखा,
कान वालों ने तुमको सुना है,
तेरा दर्शन उसी को हुआ है,
जिसकी आँखों पे पर्दा नहीं है,
मेरे बाँके बिहारी साँवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है।।
लोग पीते है पी पी के गिरते,
हम भी पीते है गिरते नहीं है,
हम तो पीते है सत्संग का प्याला,
यह अंगूरी पानी नहीं है,
मेरे बाँके बिहारी साँवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है।।
ये नशा जल्दी चढ़ता नहीं है,
चढ़ जाये उतरता नहीं है,
लोग जीते है दुनिया के डर से,
हमे दुनिया का कोई डर नहीं है,
मेरे बाँके बिहारी साँवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है।।