मेरा तेरे बिना लगदा नई जी , तू मेरे घर आ माता,
पावन ज्योत का जलवा अकबर ने देखा,
भवन पे तेरे छतर चढ़ाया सोने का ,
मैंने मांगी है शरण तेरी,
तू मेरे घर आ माता.........
ध्यानु की भगति को तूने मान दिया,
सर को धड़ से जोड़ा जीवन दान दिया,
यह है ज्वाला जी महिमा तेरी,
तू मेरे घर आ माता...........