भरत जी रोवे महलन में,
राम क्यों भेज दिए वन में.....
बड़ी हठीली हट कर बैठी,
माता कौशल्या की एक न मानी,
उर्मिला एकली महलन में राम क्यों भेज दिए वन में.....
यहां महल वहां नहीं है मढैया
सिया जानकी सम दोनों भैया
विगत होंगे बारिश में राम क्यों भेज दिए वन में.....
तेने केकई जुलम गुजारा,
अपना पद देने आप गमाया,
खटक गई सबकी नजर में राम क्यों भेज दिए वन में.....
राजपाट मोहे ना चाहिए माता,
चाहिए राम लखन से भ्राता,
भाभी क्या सोच होगी मन में राम क्यों भेज दिए वन में.....