गोदी में राम लाला

गोदी में राम लाला अखियो में पानी
राम जी को लेके चली और चाल रानी,

बाल रूप प्रभु दर्शन ऐसे माँ की गोदी कुवर हो जैसे,
तीन लोक में जिनकी माया उन पर है आँचल की छाया
कुवर गणेश लगे कोश्याला शानी
राम जी को लेके चली और चाल रानी,

पल पल छीन छीन बीते ऐसे तो युग पुरे कटे ये कैसे,
त्रेता युग बन भेज दियां था,
कलसहित मन ये पाप किया था
राम बिन कठिन है इक घड़ी बितानी
राम जी को लेके चली और चाल रानी,

बिलख करे सब अवध निवाशी जाने नही है सिन्धु सुख रासी
सुनी हुई है अयोध्या मोरी
विनती करत तुम तुमसे कर जोरी
हो ना अधीर धीर धरो संत ग्यानी
दोनों नगर में रहे राम की राजधानी,
राम जी को लेके चली और चाल रानी,

मुख मयंक शीतला एसी दीन बंधू तीनो के हितेषी
मुख मंडल जो ॐ परकाशा धाम और का कर ही निवासा,
लेते आशीष याहा धीर पीर ग्यानी
राम जी को लेके चली और चाल रानी,
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