मोटी मोटी आँखों में काजल डलवाया है,
मेरा गिरधर नन्द किशोर कन्हैया ब्रज में आया है.....
आँखे प्यारी मुखड़ा प्यारा प्यारी तेरी है मुस्कान,
ऐसा मनोहर रूप तेरा मन भाया है,
मेरा गिरधर नन्द किशोर कन्हैया ब्रज में आया है......
ब्रज के नर हो या हो नारी बच्चे बूढ़े या हो जवान,
सब है तेरे प्रेम में पागल तू इतराया है,
मेरा गिरधर नन्द किशोर कन्हैया ब्रज में आया है.....
माखन चोरी कर के खाया गोपियों के वस्त्र को चुराया,
फिर भी तू ही मन में बसा क्यों समझ ना आया है,
मेरा गिरधर नन्द किशोर कन्हैया ब्रज में आया है.....