हे कान्हा मेरा जीवन तुम सफल बना देना ,
मेरे दिल मेँ तुम रहना, मुझको अपनालेना ॥
तेरी मोहिनी मूरत का, हर पल दीदार करूँ,
ना चाहूँ कुछ जग से, बस तुमको प्यार करूँ,
बस इक बार कान्हा, मुझे गले लगा लेना,
मेरे दिल मेँ तुम रहना, मुझको अपनालेना ॥
तेरी बँशी की धुन पे, मैँ सुधबुध खो बैठी,
इक दरस तेरा पाकर, मैँ तेरी हो बैठी,
नहीँ नजर हटे तुमसे, यह मोह जगा देना,
मेरे दिल मेँ तुम रहना, मुझको अपनालेना ॥
भव से मैँ तर जाऊँ, उपकार करो कान्हा,
जनमोँ के झँझट से, मुझे पार करो कान्हा,
मैँ जब भी तन छोणूँ, तुम खुद मेँ मिला लेना,
मेरे दिल मेँ तुम रहना, मुझको अपनालेना ॥
हे कान्हा मेरा जीवन तुम सफल बना देना,
मेरे दिल मेँ तुम रहना, मुझको अपनालेना ॥
भजन रचना: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी