उधो मोहे श्याम सदा अति प्यारे,
जिनकी महिमा वेद उच्चारे....
मेरे कारण छोड़ जगत के भोग पदार्थ सारे,
निशिदिन ध्यान धरे हृदय में,
सब घर काज बिशारे,
उधो मोहे श्याम सदा अति प्यारे,
जिनकी महिमा वेद उच्चारे.....
मैं श्यामा के पीछे जाऊं,
जहां-जहां श्याम पधारे,
चरणन रज निज अंग लगाऊं,
श्याम ना मुझसे न्यारे,
उधो मोहे श्याम सदा अति प्यारे,
जिनकी महिमा वेद उच्चारे.....
श्याम मिले तब मैं मिल जाऊं,
श्याम है मुझको प्यारे,
बिन सत्संग शाम नहीं पावे,
कोटि जतन कर डारे,
उधो मोहे श्याम सदा अति प्यारे,
जिनकी महिमा वेद उच्चारे.....
जो कान्हा के सेवक जग में,
वह सेवक मुझे प्यारे,
वृंदावन के श्याम सलोना,
सब भव बंधन तारे,
उधो मोहे श्याम सदा अति प्यारे,
जिनकी महिमा वेद उच्चारे.....