तर्ज – हमें और जीने की चाहत
कन्हैया हमारा गुजारा ना होता,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते......
मुसीबत में आया बनकर ये माझी,
बिन पानी के नैया चला दी,
मुसीबत में आया बनकर ये माझी,
बिन पानी के नैया चला दी,
वर्ना मैं कैसे, चैन से सोता,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते......
माना ये आँसू अब भी निकलते,
कह रहें हों जैसे ये बहते बहते,
माना ये आँसू अब भी निकलते,
कह रहें हों जैसे ये बहते बहते,
बताओ मैं किसके, चरणों में रोता,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते......
मेहरबानी के सिलसिले हैं जारी,
एहसान तेरा किरपा तुम्हारी,
मेहरबानी के सिलसिले हैं जारी,
एहसान तेरा किरपा तुम्हारी,
कहता ‘पवन’ के, हमारा क्या होता,
अगर तुम ना होते,
अगर तुम ना होते.......