तर्ज :- कन्हैया ले चल परली पार।
राधे तू बढ़भागिन है
1. नित्य किशोरी ,रस की बोरी,सदा सुहागिन है।
राधे तू बड़भागिन ....
2. मन मोहन की मोहिनी राधा।
सब सखियन में सोहनी राधा।।
चन्द्रबदनी ,चंद्रमुखी ,गोरी ब्रजवासिन है।
राधे तू बड़भागिन ....
3. कृष्ण - प्रिया आह्लादिनी राधा।
ब्रजरानी प्रियवादिनी राधा।।
गोलोक की रास विहारिणी ,प्रेमावतारन है।
राधे तू बड़भागिन ....
4. नन्द नंदन गोवर्धनधारी।
श्री राधे तेरो है पुजारी।।
भानुनन्दिनी के गुण गावत ,वेद पुरानन है।
राधे तू बड़भागिन ....
5 . ब्रजमण्डल की शान है राधा।
रसिक जनों की जान है राधा।।
‘‘मधुप’’ हरी की स्वामिनी राधा ,हरमन भावन है।
राधे तू बड़भागिन ....