आरती श्री गुरुदेव की गाउँ ,
मन मंदिर में ज्योत जगाकर ,श्री गुरुदेव का दर्शन पाऊं।
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु महेश्वर ,गुरु ही वेद पुराण प्राणेश्वर।
कर वंदन नित शीश झुकाऊं - आरती श्री......
ज्ञान ध्यान ईश्वर की भक्ति ,बिन गुरुकृपा मिले नहीं मुक्ति।
निशिदिन श्री गुरुदेव मनाऊं - आरती श्री......
गुरुमंत्र गुरुवाक्य अनूठा ,नाम जपत आवत है झूटा।
कर रसपान अमर फल पाऊं - आरती श्री......
काग से हंस बनावे स्वामी ,गोविन्द मिलन करावे स्वामी।
गुरु कृपा पै बलि बलि जाऊं - आरती श्री......
जो जन प्रेम से आरती गावे , "मधुप" सदा सुख शान्ति पावे।
चापत चरण शरण सुख पाऊं - आरती श्री......
( बोलो गुरुदेव स्वामी मुकुन्दहरि महाराज की जय )