नजरो में अपनी रखना तू मुझको हर पेहर,
बस इतनी सी कर देना प्रभु मुझे बस मेहर,
नजरो में अपनी रखना तू मुझको हर पेहर,
तेरे सिवा न मुझको कोई और देख पाए,
नजरो में अपनी रखना तू मुझको यु समाये,
बार बार कहती है मन की यही लेहर,
बस इतनी सी कर देना प्रभु मुझे बस मेहर,
नजरो में अपनी रखना तू मुझको हर पेहर,
नजरो की तेरी भाषा भर्ती है मुझमे आशा ,
नजरो से तुमने अपनी मुझे खूब है तराशा,
समा तेरी नजरो में मैं जाऊ वही ठेहर,
बस इतनी सी कर देना प्रभु मुझे बस मेहर,
नजरो में अपनी रखना तू मुझको हर पेहर,
नजरे तुम्हारी पल पल जीवन मेरा सवारे,
दीखते तेरी नजर में स्वर्गिक हमे नजारे,
तेरी नजर में देखि खुशियों की नई सेहर,
बस इतनी सी कर देना प्रभु मुझे बस मेहर,
नजरो में अपनी रखना तू मुझको हर पेहर,