कलयुग का है अवतारी ,बाबा मेरा श्याम बिहारी,,
हाथों में मोरछड़ी है ,करता लीले की सवारी ,
जो भी है शरण मे आता, दुखडे सब दूर भगाता,
हारे का साथ निभाता ,महिमा है भारी ।
1 खाटू में है धाम बनाया ,जो भी शरण में आता,
बाबा सबका काम बनाता ,
जग से जो ठुकराए जाते ,काम वो जग के आते ,
ऐसे चमत्कार दिखलाता ,
सेठ जग मे बड़े ,इसके दर पे खड़े ,
सेठों का सेठ कहाता, ये लखदातारी।
2 जिनका ये बन जाए माझी ,नाव कभी ना डोले,
बाबा खुद ही पार लगाए ,
हाथ थाम लेता है जिनका ,साथ कभी ना छोड़े,
जो भी दिल से इनको मनाये ,
कृपा ऐसी करें ,वो कभी ना डरे ,
हरपल ये बाबा मेरा करता रखवारी।
3 अश्विन तेरी शरण में आया ,इतनी कृपा बस करना ,
बाबा दूर ना खुद से करना ,
इस जीवन की आस यही है ,चरणों मे तेरे रहना ,
तेरे नाम से जीना मरना ,
दर पे आता रहूं ,गुण मैं गाता रहूं ,
सुन ले साँवरिया मेरी जाऊं बलिहारी.