आरती दीन दयाल गुरु की, सन्तन के प्रतिपाल गुरु की………….



आरती दीन दयाल गुरु की………..2
सन्तन के प्रतिपाल गुरु की…………..2

1 ) गुरु ही ब्रह्मा शम्भू मुरारी………..2
पार ब्रह्म गुरु भव भयहारी………..2
है सबके सच्चे हितकारी……….2
परमेश्वर गुरु मूर्ति धारी…………2
शोभा बनी विशाल गुरु की…………2
       आरती दीन दयाल गुरु की , सन्तन के प्रतिपाल गुरु की

2 ) करुणा सिन्धु अपार गुरु है………….2
सच्चे खेवन हर गुरु है………..2
आर पार पटवार गुरु है…………2
सदा मुक्ति के द्वार गुरु है…………2
आज्ञा कभी ना टाल गुरु की…………2
       आरती दीन दयाल गुरु की , सन्तन के प्रतिपाल गुरु की

3 ) जिनका नाम सुन्नत तम नाशे……….2
पूरण ब्रह्म एक प्रकाशे………2
जितना भ्रम बुद्धि में भासे……..2
मिट जाए सब गुरु कृपा से………..2
सेवा कर तत्काल गुरु की…………2
      आरती दीन दयाल गुरु की , सन्तन के प्रतिपाल गुरु की

4 ) भूलन ज्ञान गंग में नहाओ……….2
तन मन सबको शुद्ध बनाओ………2
सतगुरु चरण पे बलि जाओ………..2
प्रेम से मिलके आरती गाओ………..2
सभी झुका के भाल गुरु की………….2
      आरती दीन दयाल गुरु की , सन्तन के प्रतिपाल गुरु की
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