मैं हो गई वैरागन माँ दर्शन गुरु रविदास दे करके,
हूँ कदे भी चूकना नहीं इक वारि सिर चरनी धर के,
मैं हो गई वैरागन माँ दर्शन गुरु रविदास दे करके,
ओहदे हुकम न पत्थर तर दे ने जदो नजर मेहर दी कर दे ने,
कला पानी दे विच भरदे ने मैं देख लिया घुट भरके वे,
मैं हो गई वैरागन माँ दर्शन गुरु रविदास दे करके,
मेरा सच्चा गुरु रविदास माये मेरे वस्या है हर स्वास माये,
मेरी पूरी होइ आस माये ओहदे चरना विच सिर धरके,
मैं हो गई वैरागन माँ दर्शन गुरु रविदास दे करके,
होर बिन न पार उतारा नि मैनु ओहदा इक सहारा नहीं,
इह झूठा जगत पसारा नि ना रोग मैनु लढ़ लढ़ के,
मैं हो गई वैरागन माँ दर्शन गुरु रविदास दे करके,
मेरा आया गुरु अवतारी है जह्नु झुक्दी दुनिया सारी है,
गुरु मुख ओह्दी ज्योत न्यारी आ हंस गुण गावे नित पड़ के,
मैं हो गई वैरागन माँ दर्शन गुरु रविदास दे करके,