भंग पीला दे न गोरा, मेरा नशा सा ढीला होरा

तर्ज :-तू बीन बजा दे न जोगी

ठाले कुंडी ला दे रगड़ा मत कर गोरा खामखा झगड़ा,
पीके भंग हरिद्वार में जाऊं रे सब मने देखते रह जागे मैं ऐसा डमरू बजाउ
रे भंग पिला दे न गोरा मेरा नशा सा ढीला होरा

1. काची काची भांग के घोटा जम के गोरा लाइए तू
      सावन मस्त महीना आग्या भर भर लोटा पियाइये  तू

तोड़ :- और न कोई काम तेरे पे ,हो तेरा एहशान मेरे पे ना और मैं कुछ भी चाहु

2.हरिद्वार हर की पौड़ी का चल क़े देख नजारा
दिल्ली up हरियाणे ते आवे भगत बड़ा प्यारा  

तोड़ :-उनके रंग मैं ही रंग जाऊ कावड़ियों संग नाचू  गाउ मैं सुध बुध अपनी  भुलाउं

3.नवीन कुमार की किस्मत का गोरा कब खोलेगी ताला  
तेरे प्यार मैं पागल से यो संकर डमरू वाला
तोड़ :-त्यागी सब नखरे तेरे ओटए भंग चाहे तू मतना घोटए ना बिन तेरे रह पाऊ


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