मेरा भोला पीके भंग रहे मस्त मलंग,
बैठे है कैलाश पे भोला करके नंदी सवारी,
संग में गोरा गोद में गणपत झांकी लागे प्यारी,
भोला शीश विराजे चंद,रहे मस्त मलंग,
नाथो के तुम नाथ हो बाबा तुम हो शिव त्रिपुरारी,
विशव कहे तुम्हे विशव नाथ और गाये महिमा तुम्हारी,
तेरे रंग में सब गए रंग रहे सदा मस्त मलंग,